क्या करे जब कोई मजाक उड़ाए,बुराई करे और अपमानित करे?


क्या करे जब कोई मजाक उड़ाए,बुराई करे और अपमानित करे?

अमर विराट

साथियों! बहुत बार ऐसा होता है की जब कोई जानबूझ कर हमारा मजाक उड़ाता है। बुराई करता है। अपमानित करता है। अपने से नीचा महसूस  कराता है। खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए दूसरों के समक्ष हमे छोटा दिखाता है। 

बहुत से लोग ऐसी मानसिकता के होते हैं।  खुद तो उन्होंने ने कुछ करना नही है। दूसरों के सामने किसी की बुराई करते हैं। उसे घटिया साबित करते हैं। और उससे बड़े बन ने की कोशिश करते हैं। उससे श्रेष्ठ बन ने की कोशिश करते हैं। बहुत आसान काम है।


दोस्तो! जब भी कोई कोई व्यक्ति हमे अपमानित करे। हमारा मजाक उड़ाए। हमारी बुराई करे। तो नीचे उदाहरण द्वारा समझाई बातों के अनुसार नजरिया रखें और जिंदगी में आगे बढ़ते चले जाएं।

उदाहरण(1) एक बार एक व्यक्ति नाव से दरिया पार कर रहा था। बहुत ही अमीर पढ़ा लिखा व्यक्ति था। वह नाविक से पूछने लगा की आप कितने पढ़े हो? नाव चलाने वाला बोला_ साहब! मैं तो अनपढ़ हूं। छोटा सा था जब मां बाप चल बसे। छोटी उम्र से ही कमाना शुरू कर दिया था। नाव पर सवार व्यक्ति हसने लगा। क्या जिंदगी है तुम्हारी बिलकुल भी पढ़ना नही आता? नाविक को बहुत बुरा लगा।

अब उस अमीर आदमी ने फिर नाविक को पूछा की आप शहर गए हो कभी? नाविक बोला नही साहब मैं इस गांव से बाहर कन्ही नही गया कभी। वह व्यक्ति फिर हसने लगा। बोला क्या जिंदगी है तेरी कभी शहर ही नही देखा। फिर बहुत बुरा लगा नाविक को।


तभी अचानक तूफान चलने से नाव में पानी भर गया। तैर कर जाने लिए नाविक कपड़े उतार कर पानी में छलांग लगाने लगा। तभी वह अमीर व्यक्ति बोला अरे भाई मुझे भी बचाओ नही तो मैं डूब जाऊंगा। अब नाविक ने सोचा की इसको सबक सिखाते हैं। नाविक ने पूछा क्या आपको तैरना नहीं आता। अमीर व्यक्ति बोला नही। नाविक ने हंसते हुए कहा ये भी कोई जिंदगी है।

इस पर नाव पर सवार व्यक्ति बहुत शर्मिंदा हुआ। वह बोला भाई मेरी जान बचाओ। इसके बदले मेरा सब कुछ ले लो। नाविक बोला डरो मत। मुझे तैरना भी आता है। और डूबते को बचाना भी आता है। इस प्रकार नाविक ने उस घमंडी व्यक्ति की जान बचाई।

निष्कर्ष: कभी भी किसी व्यक्ति का मजाक नही उड़ाना चाहिए। हमे कभी भी किसी की भी जरूरत पड़ सकती है।

उदाहरण(2) एक बार एक नेता दूर जंगलों में एक कुटिया में गया। क्योंकि वंहा पर रहने वाले साधु के बारे बहुत सुना था उसने। नेता के साथ उसके बॉडी गार्ड भी थे। नेता की तरफ साधु ने कोई ध्यान नही दिया। वह अपने सामने बैठे लोगों की समस्याओं के बारे उन्हे कुछ बता रहा था। नेता को अपमान लगा। वह गुस्से से साधु से बोला मुझे आपसे कुछ कहना है। साधु ने कहा अभी थोड़ी देर बैठो। नेता भड़क गया और बोला की साधु तू घटिया है। पाखंडी है। मैं तेरा भांडा फोड़ दूंगा आज। साधु ने उस व्यक्ति के तरफ देख कर कहा की ये आपकी सोच है। और मुझे कोई फर्क नही पड़ता की मेरे बारे किसकी क्या सोच है। लेकिन मुझे आप एक भले आदमी दिखाई देते हो।

साधु की यह बात सुनकर वह नेता खुश हो गया। उस नेता ने सारी बात घर आकर अपने पिता को बताई। इस नेता के  पिता ने सारी कहानी सुन कर कहा की उस साधु ने तुम्हारी बढ़ाई नही की। उसने तो वह बोला जैसा वह खुद है। और तूने उसे वह बोला जैसा तू खुद है।

निष्कर्ष: ये दुनिया वैसी नही है जैसी हमे दिखती है। यह दुनिया तो हमे वैसी दिखाई देती है जैसे हम खुद है। जैसा हमारा नजरिया है।

उदाहरण(1) पहले प्रकार के अपमान करने वाले वो लोग होते हैं जो हमारा भला चाहते हैं। हमे उनकी बातों का बुरा ना मानते हुए उनके शब्दों का विश्लेषण कर अपनी गलतियां सुधारनी चाहिए ताकि आगे अपमान ना हो।

दूसरे अपमान करने वाले वो होते हैं जो हमे चोट देकर मजे लेना चाहते हैं। ये लोग हमारा अपमान कर के हमारा फायदा ही करते है क्योंकि हमे अपनी कमियां या कमजोरिया पता चल जाती है। और हम उन में सुधार कर लेते है। रही बात चोट की तो दुश्मन भी है ये और दोस्त भी। ऐसे लोगों को ना अच्छा कहो ना बुरा। अपने मे सुधार करो।

तीसरे लोग जो हमारा अपमान नही हमारी बड़ाई ही करते है चाहे हम गलत भी हो। ऐसे लोगों से बच के।


निष्कर्ष: हवाओं को नही रोका जा सकता। ये तो चलेंगी ही। जो पत्ते कमजोर है वो झड़ेंगे ही। इसलिए ताकत वर बनो।

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। अर्थ : जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिक से अधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है।

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